सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञानं और इंजीनियरिंग का एक प्रमुख क्षेत्र होता है |जिसके अंतर्गत कंप्यूटर सॉफ्टवेर के डिजाईन से लेकर उसेक विकास, परिक्षण और रखरखाव से सम्बंधित सभी कार्य आते है | इसमें
सबसे अधिक इंजीनियरिंग सिद्धांतों और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल किया जाता है |
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का महत्व
सॉफ्टवेयर का कंप्यूटर में बहुत ही बड़ा महत्व है | विश्वसनीयता दक्षता सुरक्षा रख रखा और पर्याप्त आकर यह सभी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मुख्य घटक है | इसका उपयोग सभी टेक्नोलॉजी से संबंधित उद्योगों में किया जाता है | यह केवल सॉफ्टवेयर के विकास को प्रभावित नहीं करता बल्कि विश्वसनीय और अधिक दिन तक चलने वाला भी है | आज के इस डिजिटल दुनिया में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का बहुत ही बड़ा उपयोग है।
1.लागत और समय की बचत
यदि सॉफ्टवेयर को अच्छे तरीके से बनाया जाए तो उसके निर्माण में लगने वाले खर्च और समय दोनों की बचत हो सकती है | इसके द्वारा बनने वाली डिजाइन और अन्य जगहों पर प्रयोग होने वाली चीजों में बार-बार सुधार की आवश्यकता नहीं होती है |
2. त्रुटि मुक्त और गुणवत्ता युक्त सॉफ्टवेयर
इसका मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्तावाले सॉफ्टवेयर का निर्माण करना होता है ताकि इसमें होने वाले बार-बार गलतियों को रोका जा सके यदि सॉफ्टवेयर को अच्छे तरीके से बनाया जाए तो प्रयोग होने वाले उपयोगकर्ताओं को विश्वास होता है और वे बेहतर अनुभव प्रदान करते हैं।
3. जटिल सॉफ्टवेयर को सरल बनाना
प्रोजेक्ट सॉफ्टवेयर को सरल बनाने के लिए अमूर्त्ता का प्रयोग और माड्यूलरिटी लागू करना चाहिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से संबंधित सभी नियमों का पालन करना चाहिए जिससे कि सॉफ्टवेयर को और अधिक सरल बनाया जा सके।
4. औद्योगिक और व्यावसायिक विकास
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग विभिन्न प्रकार के उद्योगों जैसे हेल्थ केयर, शिक्षा, बैंकिंग, ई कॉमर्स और मैन्युफैक्चरिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ाते हैं वैसे सॉफ्टवेयर सिस्टम की ज़रूरतें भी बढ़ती है जिससे औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्र में और भी अधिक विकास होता रहता है।
5. सुरक्षा सुनिश्चित करना
इसके अंतर्गत सॉफ्टवेर को डिजाईन करते समय हर चरण को सुरक्षा को ध्यान में रखा कर कोड किया जाता है
जिसके कि डाटा को बहरी खतरों से सही तरीके से बचाया जा सके जो कि कुछ ध्यान देने वाली बाते इस प्रकार
है| सुरक्षा परीक्षण करें
- कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करें
- सुरक्षा नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करें
- सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करे
सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट मॉडल (Software Development Models)
यह उन प्रक्रियाओं से संबंधित होता है जिसका प्रयोग सॉफ्टवेयर का विकास करने के लिए किया जाता है |
1. वाटर मॉडल
यह एक पारंपरिक और सरल मॉडल है जिसके अंतर्गत विकास चरण दर चरण होता रहता है इसकी सबसे खास बात यह है कि पहले चरण पूरा होने के बाद दूसरा चरण शुरू करता है |
जैसे- मान लीजिए की कोई एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बना रहे हैं | तो वॉटरफॉल मॉडल के अनुसार आप पहले एप्लीकेशन की आवश्यकताओं को समझेंगे फिर उसके बाद डिजाइन को तैयार करेंगे उसके बाद उसका
परीक्षण करेंगे अंत में उसका रख रखाव करेंगे |
जैसे आवश्यकता विश्लेषण सिस्टम डिजाइन इंप्लीमेंटेशन टेस्टिंग तैनाती रखरखा इत्यादि।
2. विकासात्मक मॉडल (Incremental Model)
इस मॉडल के अंतर्गत सॉफ्टवेयर को छोटे-छोटे भागों में तैयार किया जाता है इसमें हर भाग अपने से पहले बनाए गए भाग पर आधारित होते हैं धीरे-धीरे पूरा सॉफ्टवेयर बनकर तैयार हो जाता है |इस प्रक्रिया में जोखिम (Risk) बहुत ही काम होता है तथा ग्राहक की जरूरत के हिसाब स्वीकार करना सरल भी होता है।
3. स्पाइरल मॉडल (Spiral Model)
यह मॉडल पूरी तरह से रिस्क मैनेजमेंट पर आधारित होता है इसका प्रयोग सबसे अधिक बड़े और जटिल प्रोजेक्ट के लिए किया जाता है इस सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता सबसे अच्छी होती लेकिन यह काफी महंगे होते हैं।
4. प्रोटो टाइप मॉडल (Prototype Model)
इस मॉडल में सबसे पहले सॉफ्टवेयर का एक प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया जाता है | उसके बाद ग्राहक पर फीडबैक लिया जाता है फिर उसे आधार पर सॉफ्टवेयर को तैयार किया जाता है | इस मॉडल से सबसे बड़ा फायदा या होता है कि ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुसार इसे तैयार करते हैं | इसलिए इसमें गलती होने की बहुत ही कम संभावना होती है |
सॉफ्टवेयर की आवश्यकता है (Software Requirement)
आज के डिजिटल सामान्य सॉफ्टवेयर हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है कंप्यूटर मोबाइल या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को सही तरीके से उपयोग करने के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है बिना सॉफ्टवेयर के किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलाना असंभव है।
1. यूजर आवश्यकता (User Requirements)
उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता के अनुसार सोच समझकर सॉफ्टवेयर का डिजाइन तैयार किया जाता है |ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके सॉफ्टवेयर यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जो उपयोगकर्ताओं की जरूरत का विश्लेषण करने से शुरू होती है।
2.विश्वसनीयता(Reliability)
इसका शाब्दिक अर्थ विश्वास करना होता है | सॉफ्टवेयर को सुनिश्चित ढंग से बनाना चाहिए ताकि बिना किसी गड़बड़ी के कार्य अच्छे से कर सके।
3. अनुरूपता (Scalability and Flexibility)
सॉफ्टवेयर को इस तरह से बनाना चाहिए कि भविष्य में यदि उसमें कुछ बदलाव करना हो तो अपनी इच्छा अनुसार उसे बदल सके सभी प्लेटफार्म और हार्डवेयर के अनुसार सॉफ्टवेयर होना चाहिए।
4. सुरक्षा (Security)
रखरखाव Maintainability and Supportability)
सॉफ्टवेयर के कोड को स्पष्ट रूप से लगाना या बनाना चाहिए ताकि उसमें बाद में कुछ बदलना हो तो उसे आसानी से समझा और बदला जा सके किसी भी सॉफ्टवेयर में बैग को ठीक करने तथा उसे अपडेट प्रदान करने की सुविधा होनी चाहिए। सभी सॉफ्टवेयर को सुरक्षित रखने के लिए हमें सुरक्षा के अत्यंत आवश्यकता होती है उसके बचाव के लिए उससे संबंधित सभी प्रकार के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए हमें साइबर सुरक्षा का प्रयोग करना चाहिए।
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सॉफ्टवेयर डिजाइन
यह सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है | इसमें सॉफ्टवेयर की डिजाइन को तैयार किया जाता है व्यक्तियों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सभी कार्यों के अनुसार डिजाइन को तैयार किया जाता है | ताकि कुछ अपडेट करना हो तो कर सके सॉफ्टवेयर डिजाइन को तो भागों में बांटा गया है आर्किटेक्चर डिजाइन और लो लेवल डिजाइन।
आर्किटेक्चर डिजाइन- आर्किटेक्चर डिजाइन को बेहोशित ढंग से तैयार किया जाता है और उसकी पूरी सूचना को परिभाषित किया जाता है यह पूरे सिस्टम को हाई लेवल डिजाइन में तैयार करता है
लो लेवल डिजाइन -इसमें सभी प्रकार के सॉफ्टवेयर के अंदर क्या कमी है किस तरह से डाटा का उपयोग किया जाता है इत्यादि की जानकारी प्राप्त करने के लिए की जाती है।
सॉफ्टवेयर डिजाइन क्यों जरूरी है
सॉफ्टवेयर डिजाईन आवश्कताओ और विकास के बिच इंटरफ़ेस का काम करता है |
सॉफ्टवेयर ही किसी वेबसाइट या एप्लीकेशन के इंटरफेस को दर्शाता है कि वह सॉफ्टवेयर कैसा दिखेगा और उसके सभी माडल किस चीज को दर्शाते है |
सॉफ्टवेयर परीक्षण (Software Testing)
सॉफ्टवेयर का परीक्षण करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि उसमें मौजूद सभी गलतियां को खोज कर उसे ठीक करना बहुत जरूरी होता है | ताकि उसे यह पता चल सके कि सॉफ्टवेयर कितने अच्छे से कार्य कर रहा है पूरे सिस्टम को इकाई के रूप में परीक्षण किया जाता है सॉफ्टवेयर परीक्षण विशिष्ट परिदृश्यो के लिए शुद्धता को निर्धारित कर सकता है लेकिन कुछ परीक्षण ऐसे भी हैं जिसका परीक्षण सॉफ्टवेयर के द्वारा नहीं कर सकते हैं।
सॉफ्टवेयर परीक्षण के प्रकार
सॉफ्टवेयर परीक्षण के कई प्रकार होते हैं।
- यूनिट टेस्ट
- इंटीग्रेशन टेस्टिंग
- सिस्टम टेस्टिंग
- एक्सेप्टेंस टेस्टिंग
1.यूनिट परिक्षण
यह सॉफ्टवेयर का एक हिस्सा है जो कोड के छोटे-छोटे चीजों की जांच करने के लिए किया जाता है यूनिट टेस्ट को हिंदी में इकाई परीक्षण करते हैं।
2. इंटीग्रेशन परीक्षण
इसमें सभी मॉडलों को एक साथ जोड़कर यह देखा जाता है कि वह ठीक से काम कर रहा है कि नहीं इसका प्रयोग तभी किया जाता है जब सभी घटक अपनी इच्छा अनुसार स्वतंत्र हो और उन्हें व्यक्तित्व रूप से परीक्षण किया जा सके।
3. सिस्टम परीक्षण
यह पूरे सॉफ्टवेयर की जांच करता है विकसित किए गए सॉफ्टवेयर के सभी पार्ट को आपस में जोड़कर उसका परीक्षण किया जाता है कि सभी सिस्टम एक साथ कार्य कर रहे हैं कि नहीं इस सॉफ्टवेयर में कार्यात्मक और गैर कार्यात्मक रूप से प्रदर्शन योजना सुरक्षा प्रायोज्यता इत्यादि की जांच शामिल है।
4. एक्सेप्टेंस परीक्षण
इसमें यह पता करते हैं कि हमने जो सॉफ्टवेयर बनाया है वह व्यक्तियों द्वारा प्रयोग किए जाने पर सही से कार्य कर रहा है कि नहीं इस सॉफ्टवेयर को स्वीकृति परीक्षण करते हैं यह परीक्षण सॉफ्टवेयर विकास प्रक्रिया के अंतिम चरण में किया जाता है।
सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस और परियोजनाएं
सॉफ्टवेयर को अच्छी तरह से बनाने के बाद उसमें समय-समय पर बदलाव करना चाहिए ताकि वह अच्छे से कार्य कर सके लंबे दिनों तक सॉफ्टवेयर सुरक्षित रहे इसे ही मेंटेनेंस कहते हैं। मेंटेनेंस के कई प्रकार होते हैं
जैसे- सुधारात्मक मेंटेनेंस, अनुकूलन मेंटेनेंस, परिपूर्ण मेंटेनेंस निवारक मेंटेनेंस इत्यादि |यह सभी सॉफ्टवेयर को मेंटेनेंस करने के लिए उपयोग किए जाते हैं | इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि को ठीक करने सॉफ्टवेयर को नए हार्डवेयर या ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुसार बनाने का कार्य करते हैं व्यक्तियों के आधार पर या उनके दिए गए सुझाव को नई सुविधाओं को जोड़ना और उसे बेहतर तरीके से बनाने का कार्य करते हैं | जिससे कि भविष्य में होने वाली सभी परेशानियों को पहले से ही सुधारा जा सके।
परियोजनाएं
जब सॉफ्टवेयर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाता है तो उसे व्यक्तियों तक पहुंचाने और चलने की प्रक्रिया को प्रयोजन कहा जाता है।
प्रयोजन के चरण
- प्रयोजन के मुख्य चरण निम्न है
- बिल्ड तैयार करना
- प्रयोजन पर्यावरण सेट करना है रिलीज करना
- रोलबैक विकल्प रखना
- टेस्टिंग करना
प्रयोजन के प्रकार
इसके दो प्रकार होते हैं
- मैन्युअल डेवलपमेंट
- ऑटोमेटेड डेवलपमेंट
मैन्युअल डेवलपमेंट
इस सॉफ्टवेयर के अंतर्गत सभी चीजों को मैन्युअल एडमिन के द्वारा हैंडल किया जाता है जैसे यूजर के सभी डाटा को उनके जरूरत के हिसाब से उनको एडमिन के द्वारा प्रदान किया जाता है।
ऑटोमेटेड डेवलपमेंट (स्वचालित परियोजना )
इसके अंतर्गत सॉफ्टवेयर का विकास व उत्पादन के सभी भाग को स्वचालित रूप से तैयार किया जाता है जिसका मतलब यह होता है कि सॉफ्टवेयर बनने के बाद उसमें कुछ भी मैन्युअल करने की जरूरत ना पड़े सब कुछ ऑटोमेशन पर हो।
निष्कर्ष (Conclusion of Software Engineering)
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक ऐसी अनुशासित प्रक्रिया है जो गतिशील क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसके प्रक्रिया में डिजाइन, कोड, परीक्षण और रखकर शामिल होते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा हैं|आज के इस डिजिटल दुनिया में इसका बहुत बड़ा योगदान हैसॉफ्टवेयर उच्च गुणवत्ता वाला और विश्वसनीय होना चाहिए ताकि वह अच्छे से कार्य कर सके सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रगतिशील क्षेत्र है इसलिए इसे हमेशा सीखते रहना चाहिए और उसमें अपडेट करना चाहिए समय- समय पर व और अच्छे से कार्य कर सके|
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